


आज़ादी का अमृत महोत्सव केवल स्वतंत्रता के 78 वर्षों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह उस नये भारत की झलक भी है, जो 21वीं सदी में आर्थिक और सामरिक दृष्टि से वैश्विक मंच पर एक सशक्त शक्ति बनकर उभर रहा है। आज भारत न केवल अपने गौरवशाली अतीत को पुनर्स्मरण कर रहा है, बल्कि भविष्य की वह रूपरेखा भी गढ़ रहा है जिसमें विकास, शक्ति और नेतृत्व तीनों का संतुलित संगम है।
आर्थिक महाशक्ति की ओर बढ़ते कदम
भारत आज विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्था है और आने वाले वर्षों में इसके तीसरे स्थान पर पहुँचने की संभावना है। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप कल्चर और तेज़ी से विकसित हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर ने देश को निवेश का आकर्षण केंद्र बना दिया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की GDP ग्रोथ दर बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ है। हरित ऊर्जा, सेमीकंडक्टर निर्माण, एयरोस्पेस और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस जैसे उभरते क्षेत्रों में भारत का प्रवेश, इसे भविष्य की टेक्नोलॉजी पावरहाउस बनाने की दिशा में निर्णायक है। यह केवल रोजगार और उत्पादन क्षमता बढ़ाने का प्रयास नहीं, बल्कि विश्व आर्थिक व्यवस्था में भारत को नीति-निर्माता की भूमिका में स्थापित करने का मार्ग है।
सैन्य शक्ति और रणनीतिक बढ़त
भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना का आधुनिकीकरण, मेक इन इंडिया के तहत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता, और अंतरिक्ष व साइबर सुरक्षा में नई क्षमताओं का विकास—ये सभी भारत को सैन्य दृष्टि से एक निर्णायक शक्ति बना रहे हैं। हाल के वर्षों में ब्रह्मोस मिसाइल, तेजस लड़ाकू विमान, और एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत जैसी उपलब्धियां न केवल आत्मनिर्भरता का प्रतीक हैं, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की सुरक्षा भूमिका को भी मज़बूत करती हैं। भारत का इंडो-पैसिफ़िक में बढ़ता प्रभाव और क्वाड जैसी रणनीतिक साझेदारियों में सक्रिय भागीदारी इसे क्षेत्रीय संतुलन के केंद्र में ला खड़ा करती है।
नये परिदृश्य में भारत की भूमिका
आज दुनिया बहुध्रुवीय युग में प्रवेश कर रही है, जहां शक्ति केवल पश्चिम या पूर्व के किसी एक खेमे में सीमित नहीं। इस परिदृश्य में भारत एक ‘विकासशील देशों की आवाज़’ और ‘शांति व संतुलन के दूत’ के रूप में उभर रहा है। G20 की सफल अध्यक्षता, अंतरिक्ष मिशनों की कामयाबी, और जलवायु परिवर्तन से निपटने में नेतृत्व ने भारत को एक भरोसेमंद वैश्विक भागीदार की पहचान दी है। आने वाले समय में भारत न केवल एशिया, बल्कि विश्व के राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा समीकरणों में निर्णायक भूमिका निभाने वाला है।
अमृत महोत्सव का संदेश स्पष्ट है—भारत अब केवल अपने अतीत की महिमा गाने तक सीमित नहीं, बल्कि नये युग के निर्माण में सक्रिय है। आर्थिक प्रगति, सैन्य शक्ति और वैश्विक नेतृत्व का यह त्रिकोण, आने वाले दशकों में भारत को एक सच्ची वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगा। आज़ादी का यह पर्व केवल बीते संघर्षों का स्मरण नहीं, बल्कि आने वाले स्वर्णिम युग की उद्घोषणा है।